top of page

Astrology : मां लक्ष्मी (Lakshmi Maa) के इस स्वरूप की पूजा से मिलती है आर्थिक उन्नति-तरक्की





Astrology : सुख-समृद्धि, वैभव, यश, मान-सम्मान और जीवन में ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी (Laxmi Maa) की कृपा प्राप्त करने के लिए उनके पूजन का विधान हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मां लक्ष्मी के आठ स्वरूप हैं और हर स्वरूप का अलग महत्व होता है। अलग-अलग स्वरूप की पूजा करने से अलग-अलग फल प्राप्त होते है। एस्ट्रोभूमि (Astrobhoomi) प्लेटफॉर्म की फाउंडर, एस्ट्रोलॉजर (Astrology) और मोटिवेशनल स्पीकर भूमिका कलम का कहना है कि यदि आप कारोबार में तरक्की और नौकरी में उन्नति प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको मां लक्ष्मी के गजलक्ष्मी स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। कलम ने मां गजलक्ष्मी के स्वरूप और उनके पूजन विधि, महत्व और सावधानियां भी बताई है।


भूमिका कलम (Bhoomika Kalam) कहती हैं कि मां गजलक्ष्मी की कृपा से व्यक्ति को राजयोग की प्राप्ति होती है। इसलिए गजलक्ष्मी माता को राजलक्ष्मी देवी भी कहा जाता है। जो व्यक्ति विधि विधान से गजलक्ष्मी माता की पूजा अर्चना करता है, उसे अपने जीवन में यश, मान-सम्मान और धन की प्राप्ति होती है। अगर आप नि:संतान हैं तो आपको संतान सुख की भी प्राप्ति होगी।


मां लक्ष्मी के आठों स्वरूप और पूजन से होने वाली फल प्राप्ति

1 आद्यलक्ष्मी: मां लक्ष्मी का मूल स्वरूप

2 विद्यालक्ष्मी: विद्या प्राप्ति के लिए

3 सौभाग्यलक्ष्मी: सौभाग्य प्राप्ति के लिए

4 अमृतलक्ष्मी: निरोगी जीवन और बेहतर स्वास्थ्य के लिए

5 कामलक्ष्मी: सफल वैवाहिक जीवन के लिए

5 सत्यलक्ष्मी: जीवन में सत्य और सात्विक जीवन के लिए

6 विजयालक्ष्मी: सभी मामलों में विजय प्राप्ति के लिए

7 भोगलक्ष्मी: जीवन में सभी सुख प्राप्त करने के लिए

8 योगलक्ष्मी: संयम, साहस और निडरता प्राप्त करने के लिए



अत्यंत सुंदर है मां का स्वरूप

शास्त्रों (shastro) में मिले उल्लेख के अनुसार महालक्ष्मी और गजलक्ष्मी माता एक ही हैं। मां गजलक्ष्मी चार भुजाधारी हैं, एक हाथ में कमल का फूल, दूसरे में अमृत कलश, तीसरे हाथ में बेल और चौथे हाथ में शंख पकड़ा हुआ है। माता गजलक्ष्मी हाथियों के ऊपर आठ कमल की पत्तियों वाले सिंहासन पर विराजमान हैं। मां के दोनों ओर हाथी शोभायमान हैं। माता गजलक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से संपत्ति के साथ ही संतानसुख भी प्राप्त होता है।


खास दिन करें मां का पूजन

ज्योतिष शास्त्र (jyotish shastra) और पुराणों के अनुसार मां लक्ष्मी का पूजन विशेषकर शुक्रवार के दिन करना चाहिए। शुक्रवार को श्रीयंत्र या महालक्ष्मी यंत्र को गजलक्ष्मी माता की तस्वीर के सम्मुख स्थापित करना चाहिए। फिर इस श्रीयंत्र की रोजाना विधि विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए और रोजाना भोग स्वरूप कुछ अर्पित करना चाहिए। मान्यता है कि महालक्ष्मी यंत्र की पूजा अर्जना करने जीवन में आ रही सभी प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं। व्यापार और कारोबार में बढ़ोतरी होने लगती है।


मां गजलक्ष्मी पूजन का महत्व

महालक्ष्मी व्रत की किसी तिथि पर या शुक्रवार के दिन मां गजलक्ष्मी की पूजा करना शुभ माना जाता है। यदि आपके व्यापार या कारोबार में लगातार हानि हो रही है तो आपको यह व्रत लगातार 11 शुक्रवार तक करने से धन समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। अगर आप चाहते हैं कि आपके व्यापार में सदैव तरक्की हो और विरोधी आपका कुछ न बिगाड़ पाएं तो आपको श्रीयंत्र की पूजा हमेशा करनी चाहिए। शुक्रवार को लाल वस्त्र पहनकर मां गजलक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।


मां गजलक्ष्मी की पूजा विधि

किसी भी शुक्रवार को सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े धारण कर लें। पूजा स्थल को गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें। फिर लकड़ी की चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर उस पर हल्दी से कमल का फूल बनाएं। उस पर मां गजलक्ष्मी की फोटो या मूर्ति स्थापित कर लें। उसके बाद मां लक्ष्मी के सम्मुख श्रीयंत्र रखें और साथ में एक सोने या चांदी का सिक्का रख लें। मां लक्ष्मी की तस्वीर के सम्मुख घी का दीपक और धूप जलाएं। इसके बाद माता को फल और फूल अर्पित करें।


मां के आठों स्वरूप का वंदन करें

मां लक्ष्मी के 8 स्वरूपों का ध्यान करें और इन मंत्रों का उच्चारण करें। ऊं आघ्यलक्ष्म्यै नम:, ऊं विद्यालक्ष्म्यै नम:, ऊं सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:, ऊं अमृतलक्ष्म्यै नम:, ऊं कामलक्ष्म्यै नम:, ऊं सत्यलक्ष्म्यै नम:, ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:, ऊं योगलक्ष्म्यै नम:इन मंत्रों का उच्चारण कम से कम 108 बार करना है। इसके बाद माता को कुमकुम, चावल और एक कमल का फूल अर्पित करें।फिर मां गजलक्ष्मी से अपने व्यवसाय या कारोबार को बढ़ाने के लिए कामना करें और मां लक्ष्मी की आरती करके प्रसाद का भोग लगाकर पूजा का समापन करें। सबसे आखिर में मां गजलक्ष्मी से पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करें।



Logo-Final-white-trans_edited.png
bottom of page