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COVID-19 : इन श्लोकों में पहले ही बताए है महामारी (pandemic) से लड़ने के उपाय (remedies)




कोरोना (corona) महामारी के इस दौर में जहां बड़े-बड़े वैज्ञानिक, डॉक्टर्स और शोधकर्ता कोरोना वायरस (COVID-19) को लेकर रोज नई बातें करते हैं, नई जानकारियां और उसे बचाव के तरीके इलाज और सुझाव बताते है, इन सबके बीच हिंदू धर्म में लिखे शास्त्र, पुराण और वेदों की रचानओं में हमारे ऋषि-मुनियों ने श्लोक के माध्यम से हमें कई प्रकार की बीमारियों से बचाव और उनके इलाज के बारे में बताया था, लेकिन आधुनिकता की इस दौड़ में और पश्चिम संस्कृति के बढ़ते असर के कारण हम अपने वेद-पुराणों का ज्ञान अर्जित करना और उन पर विश्वास करना भूल गए। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसी रचनाओं के बारे में जिसमें हजारों साल पहले ही कई तरह के नियम बताएं है जिससे हम अपने आप को और अपने परिवार को कई बीमारी से बचा सकते हैं। आईए जानते हैं उन श्लोक के बारे में...


शास्त्रों में स्वच्छता के सूत्र


1. लवणं व्यञ्जनं चैव घृतं

तैलं तथैव च ।

लेह्यं पेयं च विविधं

हस्तदत्तं न भक्षयेत् ।।

- धर्मसिन्धू ३पू. आह्निक


इस श्लोक में बताया गया है कि हमें कभी भी नमक, घी, तेल, चावल, एवं अन्य खाद्य पदार्थ हमेशा चम्मच से ही परोसना चाहिए, इन्हें परोसने के लिए कभी भी खुले हाथों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।


2. अनातुर: स्वानि खानि न

स्पृशेदनिमित्तत: ।।


मनुस्मृति के इस श्लोग में ऋषियों ने बताया है कि हमें अपने शरीर के अंगों जैसे आँख, नाक, कान आदि को बिना किसी कारण के छूना नहीं चाहिए।


3. अपमृज्यान्न च स्न्नातो

गात्राण्यम्बरपाणिभि: ।।


मार्कण्डेय पुराण के इस श्लोक के माध्यम से बताया गया है कि एक बार पहने हुए वस्त्र धोने के बाद ही पहनना चाहिए। स्नान के बाद अपने शरीर को शीघ्र सुखाना चाहिए।


4. हस्तपादे मुखे चैव पञ्चाद्रे

भोजनं चरेत्।।

नाप्रक्षालितपाणिपादो

भुञ्जीत ।।


सुश्रुत संहिता चिकित्सा में लिखे इस श्लोक में हजारों वर्ष पहले ही बताया गया है कि अपने हाथ, मुहँ व पैर स्वच्छ करने के बाद ही भोजन करना चाहिए।


5. स्न्नानाचारविहीनस्य सर्वा:

स्यु: निष्फला: क्रिया: ।।


शास्त्रों में लिखे इस श्लोक का अर्थ है कि बिना स्नान व शुद्धि के यदि कोई कर्म किये जाते है तो वो निष्फल रहते हैं।


6. न धारयेत् परस्यैवं

स्न्नानवस्त्रं कदाचन।


पाश्चात समय से ही स्वच्छता का काफी महत्व रहा है, इसलिए इस श्लोक के माध्यम से ऋषियों ने बताया कि स्नान के बाद अपना शरीर पोंछने के लिए किसी अन्य द्वारा उपयोग किया गया वस्त्र(टॉवेल) उपयोग में नहीं लाना चाहिये।


7. अन्यदेव भवद्वास:

शयनीये नरोत्तम ।

अन्यद् रथ्यासु देवानाम

अचार्याम् अन्यदेव हि ।।


जिस प्रकार कोरोना (COVID-19) महामारी के इस दौर में घर में प्रवेश करने से पहले बाहर कपडेÞ बदलते हैं इसी प्रकार की दिनचर्या को हमारे शास्त्रों ने इस श्लोक में बताया है कि पूजन, शयन एवं घर के बाहर जाते समय अलग-अलग वस्त्रों का उपयोग करना चाहिए।


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