
माघ का महीना साल के दूसरे माह में शुरू होता है। माघ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।
गुप्त नवरात्र: नवरात्र के दौरान साधक विभिन्न तंत्र विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करता है। साधना के लिए गुप्त नवरात्र बेहद विशेष माने जाते है।
आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। गुप्त नवरात्र में प्रलय और संहार के देवता, देवों के देव महादेव एव मां काली की पूजा का विधान है।
जिस तरह वर्ष में 4 बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्री में देवी के 9 रूपों की पूजा की जाती है ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात में दस महाविधाओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती हैं।
गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियां:
माँ काली, तारा देवी, त्रिपुरा सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुरा भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मांतगी और कमला देवी की पूजा की जाती है।
इस नवरात्र में व्यक्ति ध्यान साधना करके दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करते हैं ये नवरात्र खासतौर पर तंत्र-मंत्र और सिद्धि साधन आदि के लिए बहुत खास माना जाता हो
जिस प्रकार वास्तविक नवरात्र में भगवान विष्णु की पूजा और शारदीय नवरात्र में देवी शक्ति की नौ देवीयों की पूजा की प्रधानता रहती है, उसी प्रकार गुप्त नवरात्र दस महाविद्याओं के होते हैं यदि कोई साधक गुप्त नवरात्र में इन महाविद्याओं के रूप में शक्तियों की उपासना करे तो उसका जीवन धन-धान्य, राज्य-सत्ता एवं एश्वर्य से भर जाता है। इस नवरात्र के दौरान मां भगवती के गुप्त स्वरूप मां काली की पूजा की जाती है लेकिन गुप्त तरीके से पूजा, मंत्र, पाठ और प्रसाद सभी को गुप्त रखा जाता है।
पूजा विधि
इस नवरात्र को करने में साधक को पूर्ण संयम और शुद्धता के साथ मां भगवती की आराधना करनी चाहिए, गुप्त नवरात्र की पूजा के नौ दिनों में मां दुर्गा को स्वरूपों के साथ-साथ दस महाविद्याओं की भी पूजा का विशेष महत्व है।