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पूजा घर के बारे में क्या कहते हैं वास्तु (vaastu) के नियम, आप भी जानिए



वास्तु (vaastu) के अनुसार घर के ईशान कोण में बना पूजा घर सबसे ज्यादा लाभदायी होता है, क्योंकि इस दिशा के अधिपति बृहस्पति देव हैं। और इस दिशा में बैठकर पूजा-पाठ करने से जहां पूजन में मन लगता है, वहीं आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार भी होता है।


हर घर में पूजा को विशेष स्थान दिया जाता है। वास्तु शास्त्र (vaastu shastra) के अनुसार देवी-देवताओं की कृपा हम पर बनी रहे, इसके लिए पूजा घर हमेशा वास्तु दोष (vaastu dosh) से मुक्त होना चाहिए। ऐसे में हमारा ध्यान उत्तर पूर्व दिशा की तरफ जाता है, जो कि एकदम सही भी है। यहां पढ़ें पूजा घर को लेकर कुछ खास वास्तु टिप्स (vaastu remedies) -


9 वास्तु टिप्स (vaastu remedies) :

  • जहां पूजा घर वास्तु (vaastu) के नियमों के विपरीत होता है, वहां ध्यान और पूजा करते समय मन एकाग्र नहीं रह पाता है। इससे पूजा-पाठ का पूर्ण लाभ नहीं मिलता है।

  • एक ही मकान में कई पूजा घर होने पर घर के सदस्यों को मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

  • भगवान को एक-दूसरे से कम से कम 1-2 इंच की दूरी पर रखें।

  • अगर घर में एक ही भगवान की दो तस्वीरें हों तो दोनों को आमने-सामने बिलकुल न रखें। भगवान के आमने-सामने होने पर घर में आपसी तनाव बढ़ता है।

  • वास्तु विज्ञान (vaastu vigyaan)के अनुसार पूजा घर पूर्व अथवा उत्तर दिशा में होना चाहिए। इन दिशाओं में पूजा घर होने पर घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

  • पूजा घर के ऊपर अथवा इसके अगल-बगल में शौचालय या स्नानघर नहीं होना चाहिए।

  • अगर एक ही घर में कई लोग रहते हैं तो अलग-अलग पूजा घर बनवाने की बजाए मिल-जुलकर एक पूजा घर बनवाएं।

  • अगर जगह की कमी के कारण शयन कक्ष में ही पूजा घर बनाना पड़े तो ध्यान रखें कि सोते समय भगवान की ओर पैर नहीं हो।

  • आजकल बहुत से लोग सीढ़ी के नीचे या तहखाने में पूजा घर बनवा लेते हैं, जो वास्तु (vaastu) के अनुसार उचित नहीं हैं।



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