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जाने पुरुषोत्तम मास (Purushottam Month) इतना महत्वपूर्ण क्यों होता है


अधिक मास को पुरुषोत्तम मास (Purushottam Month) के नाम से भी जाना जाता है, यह मास इसलिए इतना महत्वपूर्ण होता है क्योंकि मनोकामना पूर्ण करने वाले श्रीकृष्ण और श्रीविष्णु भगवान के इस पावन मास में किए गए दान और पूजन अत्य अधिक फल देने वाले होते है। यह पर्व 18 सितंबर से आरंभ होने जा रहा है जो की पूरे 15 दिन तक रहेगा।

मलमास का महत्व यह व्रत करने वाले को भूमि पर सोना चाहिए। एक समय सात्विक भोजन करना चाहिए। भगवान पुरुषोत्तम यानी श्रीकृष्ण या विष्णु भगवान का श्रद्धापूर्वक पूजन, मंत्र-जाप एवं हवन करना चाहिए। हरिवंश पुराण, श्रीमद् भागवत, रामायण, विष्णु स्तोत्र, रुद्राभिषेक के पाठ का अध्ययन, श्रवण आदि करें।

अधिक मास की समाप्ति पर स्नान, दान, जप आदि का अत्यधिक महत्व है। व्रत का उद्यापन करके ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ श्रद्धानुसार दान भी करना चाहिए। इस मास में वस्त्र, अन्न, गुड़-घी का दान एवं विशेषकर मालपुए का दान करना चाहिए।

अधिकमास (adhik month) में करें होगा लाभ

1. यदि संभव हो तो गोशाला जाएं और गाय को गुड़ या हरा चारा खिलाएं। यदि ऐसा संभव न बन पड़े तो घर में गाय की मूर्ति या तस्वीर पूजा घर में रखें और कान्हा के साथ उनकी भी पूजा करें।

2. मंदिरों और घरों में दीपक लगाने को ही दीपदान कहते हैं। इस दीपदान में तेल/घी कुछ भी प्रयोग में ला सकते हैं। मलमास या अधिक मास में दीपदान करने से जातक के जीवन में परेशानियों का अंधकार मिटता है और आशाओं का प्रकाश फैलता है।

3. अधिक मास (adhik month) के दौरान पीले रंग के कपड़े, पीले फल व पीला अनाज पहले भगवान विष्णु को अर्पण करें। इसके बाद ये सभी वस्तुएं गरीबों व जरूरतमंदों में दान कर दें। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा आप पर बनी रहेगी।

4. यदि आपके पास धन नहीं टिकता है तो अधिकमास में प्रतिदिन सुबह भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। लक्ष्मी पूजा में दक्षिणावर्ती शंख, पीली कौड़ी, हल्दी की गांठ, गोमती चक्र, श्रीयंत्र भी रखें।

5. घी और तेल के दीपक लगाकर कम से कम आधे घंटे एक निश्चित समय पर मौन रखने से मानसिक शक्ति वृद्धि होगी और मन शांत रहता हैं।

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