रुद्राक्ष (Rudraksh) को भगवान शिव के आंसू का प्रतीक माना गया है, भगवान शिव का अंश होने से रुद्राक्ष (Rudraksh) धारण करने वाले व्यक्ति के जीवन में कभी कोई समस्याएं नहीं आती हैं। लेकिन भगवान शिव के इस रत्न को धारण करने वाले को अपने जीवन में कई नियम लागू करने पड़ते हैं, इसे हर कोई नहीं धारण कर सकता है। इसे अधिकतर गले में पहना जाता है। रुद्राक्ष भिन्न-भिन्न तरह के होते हैं और हर रुद्राक्ष (Rudraksh) के अलग-अलग फायदे होते हैं। ऐसा नहीं है कि हर रुद्राक्ष को धारण करने के नियम भी अलग हैं। सभी तरह के रुद्राक्ष धारण करने के एक जैसे ही नियम होते हैं। रुद्राक्ष हमारे जीवन में सभी तरह की सुख-समृधि लाता है पर इसे धारण करने के नियमों को अगर अपनाया ना जाए तो कई बार ये रुद्राक्ष आपके कई नुकसान भी करवा सकता है। तो आईए जानते है रुद्राक्ष के अलग-अलग रूप के बारे में और उन्हें धारण करने के बाद होने वाले लाभ और बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में...
रुद्राक्ष (Rudraksh) के प्रकार और उनसे होने वाले लाभ
एकमुखी रुद्राक्ष (Ekumukhi Rudraksha)
जिस रुद्राक्ष में एक मुख होता है वह शिव का विग्रह स्वरूप यानी साक्षात् शिवरूप माना जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाला ज्ञान-विज्ञान से संपन्न और संसार के रहस्य को जानने वाला हो जाता है।
दोमुखी रुद्राक्ष (Doomukhi rudraksh)
इस रुद्राक्ष को शिव पार्वती का युगल स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने से शिव पार्वती प्रसन्न होते हैं। वैवाहिक जीवन में आनंद और सुख के लिए इस रुद्राक्ष को धारण करना उत्तम माना गया है।
तीनमुखी रुद्राक्ष (Teenamukhi Rudraksha)
तीन मुखों वाला रुद्राक्ष अग्नि का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने से ओज और उर्जा में वृद्धि होती है। यह जाने-अनजाने में पूर्व में किए हुए तमाम पापों का नाश करने वाला है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से मंगल ग्रह का दोष दूर होता है, अग्नि देव प्रसन्न होते हैं।
चारमुखी रुद्राक्ष (Charmukhi Rudraksha)
इस रुद्राक्ष को ब्रह्म का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने वाला धन वैभव से संपन्न होता है। देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि यह स्वास्थ्य और बौद्धिक क्षमता को भी बढ़ाता है।
पंचमुखी रुद्राक्ष (Panchmukhi Rudraksha)
पांच मुखों वाला रुद्राक्ष पुंचमुखी ब्रह्मा के समान माना गया है। ज्ञान और आध्यात्मिक विकास के लिए इस रुदाक्ष को धारण करना चाहिए। जप के लिए इस रुद्राक्ष का प्रयोग करने से हृदय को बल मिलता है और पापों का क्षय होता है।
6 मुखी रुद्राक्ष
यह रुद्राक्ष कुमार कार्तिकेय का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने से बल की वृद्धि होती है। यह अकाल मृत्यु और दुर्घटनाओं से रक्षा करने में सहायक होता है। शत्रुओं से परेशान व्यक्तियों के लिए भी यह रुद्राक्ष लाभप्रद माना गया है।
7 मुखी रुद्राक्ष
7 मुख वाले रुद्राक्ष का संबंध कृतिकाओं और सप्तऋषियों से माना गया है। इस धारण करने वालों पर देवी लक्ष्मी की कृपा रहती है यानी व्यक्ति धनवान होता है। व्यक्ति समाज में सम्मानित और आदरणीय होता है। स्वास्थ्य के लिए भी यह रुद्राक्ष लाभप्रद माना गया है।
8 मुखी रुद्राक्ष
इस रुद्राक्ष का संबंध अष्ट मातृकाओं और आठ वसुओं से माना गया है। इसे धारण करने से शनि के अशुभ प्रभाव से राहत मिलती है। मनुष्य की भौतिक इच्छाओं की पूर्ति होती है और दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
9 मुखी रुद्राक्ष
इसे यमराज का स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने से यमराज और मृत्यु का भय दूर होता है। भाग्य में वृद्धि के लिए भी इस रुद्राक्ष को धारण किया जा सकता है।
12 और 14 मुखी रुद्राक्ष
इस रुद्राक्ष को भगवान और शिव का स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने वाले का घर धन-धान्य से संपन्न होता है। इनके घर में धर्म-कर्म के काम होते रहते हैं। लोग सात्विक विचारों के होते हैं। इसे धारण करने वाले लोग आमतौर पर कम बीमार होते हैं।
10, 11 और 13 मुखी रुद्राक्ष
इन रुद्राक्षों को भी शुभ और उत्तम फल देने वाला माना गया है। 10 मुखी रुद्राक्ष को दिक्पालों का स्वरूप माना गया है जबकि 11 मुखी को रुद्र स्वरूप मान गया है। 13 मुखी रुद्राक्ष कामदेव का स्वरूप माना गया है। इस धारण करने से कामनाओं की पूर्ति होती है। प्रेम और वैवाहिक जीवन के सुख के लिए यह रुद्राक्ष लाभकारी होता है।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम-
- एकमुखी रुद्राक्ष को पीतल के बर्तन में रख कर उसपर 108 बिल्वपत्र लेकर चन्दन से ॐ नम: शिवाय मंत्र लिखकर उसे रात्रि भर के लिए छोड़ दें। इसके बाद ही धारण करें।
-रुद्राक्ष को कभी भी काले धागे में धारण न करें, लाल, पीला या सफेद धागे में ही धारण करें।
-रुद्राक्ष को कभी भी अपवित्र होकर धारण न करें।
- रुद्राक्ष शिवलिंग अथवा शिव प्रतिमा से स्पर्श कराकर ही धारण करना चाहिए।
- रुद्राक्ष धारण करने के बाद सुबह-शाम भगवान शंकर का पूजन और ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।
- रुद्राक्ष धारण करने पर व्यक्ति को झूठ बोलने की आदत को छोड़ देना चाहिए, इससे भगवान शिव रूष्ट हो सकते हैं।
- रुद्राक्ष धारण करने के बाद अंडे, मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज को त्याग देना चाहिए।
-कभी भी भूलकर किसी दूसरे व्यक्ति को अपना रुद्राक्ष धारण करने के लिए नहीं दें।
- रुद्राक्ष धारण कर कभी भी भूल से भी श्मशान घाट या कब्रिस्तान में प्रवेश नहीं करना चाहिए।
रुद्राक्ष (Rudraksha) धारण करने के लाभ-
ये बात वैज्ञानिक भी मानते हैं कि रुद्राक्ष धारण करने से कई शाररिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। वैज्ञानिक परिक्षण में साबित हुआ है कि रुद्राक्ष हृदय रोग में बहुत लाभदायक होता है। उच्च रक्तचाप भी नियंत्रित होता है।
मंत्र-विधान के साथ पहना हुआ रुद्राक्ष शोक, रोग, चोट, बाहरी प्रभाव, विष प्रहार, असौन्दर्य, बांझपन, नपुंसकता आदि खत्म हो जाते हैं।
तीन मुखी रुद्राक्ष पहनने से स्त्री हत्या का पाप समाप्त होता है। इसके अलावा सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से सोने की चोरी आदि के पाप से मुक्ति मिलती है और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
रुद्राक्ष पानी में डूबे तो असली होता है।
व्रत-उपवास, तंत्र-मंत्र, पेड़-पौधों की सेवा और दान आदि करने से पाप कटते हैं और मनोकामना पूरी होती है।
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