हिंदू धर्म में सावन का पावन महीना बहुत शुभ माना जाता है, सावन का महीना शिवजी (shivji) को अतिप्रिय है। इस बार सावन का पवित्र मास 14 जुलाई से शुरू हो रहा है, जो 12 अगस्त तक चलेगा।
सावन का महीना भगवान भोले नाथ को समर्पित है. शास्त्रों के अनुसार जो भक्त सावन के पावन महीने में भगवान भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा करते हैं, उनकी सारी मनोकामना पूर्ण होती हैं.
सावन के महीने में क्यों कि जाती है शिव जी की पूजा (pooja)
सावन में प्रकृती के बदलाव के साथ सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान शिव के द्वारा होने से सावन महीने के देवता भगवान शिव बन जाते हैं और इस पूरे महीने भक्त शिव जी की पूजा करते हैं.
सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान शंकर ने अपने कंठ में विष समाहित कर लिया. विष पीने से महादेव का कंठ नीला हो गया, विष के प्रभाव को खत्म करने के लिए देवी-देवताओं ने उन्हें पूरे सावन महीने जल अर्पित किया था. इसी वजह से सावन के महीने में भगवान शिव को जल चढ़ाने का विशेष महत्व है.
माता सती से पुनर्मिलन होने की वजह से भगवान शिव को यह महीना अतिप्रिय है।
भगवान शिव और माता पार्वती सावन के महीने में पृथ्वी पर अवतरित होकर भृमण्ड करते है, उनका स्वागत अर्घ्य और जलाभिषेक करके किया जाता है. इस मास में भोले नाथ के द्वारा अपने भक्तों को विशेष आशीर्वाद की प्राप्ती होती है।
क्या होता है सावन मास (sawan mass) में शिव जी पूजा से
महादेव शिव सर्व समर्थ हैं. महादेव की पूजा-अर्चना करने से ग्रह बाधा दूर होती है. श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा करने से सारे कष्ट खत्म हो जाते हैं. वे मनुष्य के समस्त पापों का क्षय कर मुक्ति प्रदान करते हैं.
भगवान शिव की साधना करने से भक्तों के सभी तरह के दुखों से मुक्ति मिलती है. साथ ही, हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है. भगवान शिव के साधकों की कभी भी पराजय नहीं होती. भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को किसी भी प्रकार का रोग–शोक नहीं रहता.
जिन लोगों को दुर्भाग्य ने घेरा हुआ हो और तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पडता है उन्हें सुख और सौभाग्य प्राप्ति के लिए शिव की साधना सावन मास में जरूर करना चाहिए।
सावन मास में शिव जी की पूजा करने से चमत्कारिक लाभ
मान्यता है कि भगवान शिव के साधकों की कभी भी पराजय नहीं होती. भगवान शिव की साधना करने से भक्तों को सभी तरह के दुखों से मुक्ति मिलती है. साथ ही, हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है.
शिव भक्त उनकी कृपा से रोग मुक्त रहते हैं क्योंकि वे बैद्यनाथ हैं. भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को किसी भी प्रकार का रोग–शोक नहीं रहता.
शिव की पूजा करने वाले की कभी भी अकाल मृत्यु नहीं होती. भगवान शिव पूजा से भक्तों का आत्मबल बढ़ता है. अद्भुत उर्जा, बल और सहास की अनुभूति होती है.
भगवान शिव को कुबेर का अधिपति माना जाता है. शिव के साधक को जीवन में कभी भी आर्थिक दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता.
संतान सुख के लिए भी शिव की साधना वरदान साबित होती है, शिव की साधना करने से मनोवांछित जीवनसाथी भी मिलता है.
शिव जी के 108 नाम मात्र लेने से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं.
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